बद्रीनाथ, जिसे बद्रीनारायण भी कहा जाता है, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है। यह चार धाम यात्रा और पंच बद्री में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे भारत के सबसे पवित्र स्थलों में गिना जाता है।
बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने कराया था।मंदिर के वर्तमान स्वरूप का पुनर्निर्माण गढ़वाल के राजाओं द्वारा किया गया।यह मंदिर भगवान विष्णु के नर और नारायण अवतार की पूजा के लिए समर्पित है।
मंदिर की वास्तुकला:
- मंदिर की ऊंचाई लगभग 50 फीट है और इसे शिखर शैली में बनाया गया है।
- मुख्य द्वार को ‘सिंह द्वार’ कहा जाता है, जो रंग-बिरंगे डिजाइन से सजाया गया है।
- गर्भगृह में भगवान विष्णु की बद्रीनारायण रूपी मूर्ति स्थापित है, जो शालिग्राम पत्थर से बनी है।
पौराणिक कथा:
- पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने यहां तपस्या की थी। उनके तपस्या के दौरान मां लक्ष्मी ने बद्री के पेड़ का रूप लेकर उन्हें बर्फ से बचाया। इसीलिए इस स्थान का नाम बद्रीनाथ पड़ा।
- माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां नारद मुनि ने विष्णु को योग ध्यान में देखा था।
भूगोल और मौसम:
- बद्रीनाथ समुद्र तल से 3,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अलकनंदा नदी के किनारे बसा है।
- यह स्थान चारों तरफ से हिमालय की पहाड़ियों और नदियों से घिरा हुआ है।
- यहां का मौसम गर्मियों में सुहावना और सर्दियों में अत्यधिक ठंडा रहता है। मंदिर केवल अप्रैल से नवंबर तक खुला रहता है।
तीर्थ यात्रा:
- बद्रीनाथ चार धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, और गंगोत्री) का हिस्सा है।
- यात्रा के दौरान तप्त कुंड, ब्रह्मा कपाल, माणा गांव, और वसुधारा जलप्रपात जैसे स्थानों का दर्शन किया जाता है।
विशेष धार्मिक महत्व:
- यह 108 दिव्य देशमों (भगवान विष्णु के पवित्र स्थानों) में से एक है।
- हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
आसपास के प्रमुख स्थान
- तप्त कुंड
- यह एक प्राकृतिक गर्म पानी का स्रोत है, जहां भक्त पूजा से पहले स्नान करते हैं।
- ब्रह्मा कपाल
- माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।
- माणा गांव
- भारत का अंतिम गांव, जहां वसुधारा जलप्रपात और भीम पुल जैसे स्थल देखने योग्य हैं।
- चरणपादुका
- यहां भगवान विष्णु के पैरों के निशान देखने को मिलते हैं।