उत्तराखंड के प्रमुख कवि और लेखक….

उत्तराखंड का साहित्य क्षेत्र लोककथाओं, गीतों और कविताओं से समृद्ध है। यहाँ के लेखकों और कवियों ने राज्य की संस्कृति, परंपराओं, प्रकृति और समाज को अपने साहित्य में स्थान दिया है।

1. शैलेश मटियानी

  • परिचय: शैलेश मटियानी को “कहानी सम्राट” कहा जाता है। उनका जन्म अल्मोड़ा जिले के बाड़ेछीना में हुआ था।
  • विशेषता: उन्होंने ग्रामीण जीवन, पहाड़ी संघर्ष, और मानव जीवन की सच्चाई को अपनी कहानियों में दर्शाया।
  • प्रमुख कृतियां: “बोरीवाली,” “मुख सरोवर के हंस,” “हलवाहा,” और “पराई धरोहर।”

2. सुमित्रानंदन पंत

  • परिचय: उनका जन्म कौसानी में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवि थे।
  • विशेषता: प्रकृति का वर्णन उनकी कविताओं में प्रमुखता से मिलता है।
  • प्रमुख कृतियां: “पल्लव,” “गुंजन,” और “युगवाणी।”
  • सम्मान: उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

3. गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’

  • परिचय: गिर्दा उत्तराखंड के प्रसिद्ध जनकवि, लोकगायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे।
  • विशेषता: उन्होंने अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर किया।
  • प्रमुख रचनाएं: उनके लोकगीत “उत्तराखंड मेरी मातृभूमि” और “आज हिमाल तुमुंन है निरमल” काफी प्रसिद्ध हैं।

4. मोहन उप्रेती

  • परिचय: वे उत्तराखंड के महान लोककवि और नाट्य कलाकार थे।
  • विशेषता: उन्होंने कुमाऊंनी लोकसंगीत और नाटकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
  • प्रमुख रचनाएं: “बेड़ू पाको बारामासा” उनका सबसे प्रसिद्ध गीत है।

5. महादेवी वर्मा

  • परिचय: महादेवी वर्मा का उत्तराखंड से विशेष संबंध था। वे हिंदी साहित्य की छायावादी कवयित्री थीं।
  • विशेषता: उनकी कविताओं में करुणा और प्रकृति के प्रति प्रेम झलकता है।
  • प्रमुख कृतियां: “यामा,” “दीपशिखा,” और “स्मृति की रेखाएं।”

6. जसवंत सिंह बिष्ट

  • परिचय: जसवंत सिंह बिष्ट एक प्रमुख गढ़वाली लेखक हैं।
  • विशेषता: उनकी रचनाओं में पहाड़ी जीवन, संघर्ष और संस्कृति का सुंदर चित्रण होता है।
  • प्रमुख रचनाएं: “उत्तराखंड की लोकगाथाएं” और “गढ़वाल की नारी।”

7. विजय जोशी ‘अटल’

  • परिचय: विजय जोशी ने कुमाऊंनी साहित्य को समृद्ध किया।
  • विशेषता: उनकी कविताओं में सामाजिक जागरूकता और संस्कृति का संरक्षण झलकता है।
  • प्रमुख रचनाएं: कुमाऊंनी कविताओं का संग्रह।

8. बदल सिंह नेगी

  • परिचय: गढ़वाली साहित्य के प्रमुख कवि और लेखक।
  • विशेषता: उन्होंने गढ़वाली साहित्य को बढ़ावा देने के लिए लोकगीत, कविताएं और कहानियां लिखीं।
  • प्रमुख रचनाएं: उनकी कविताएं ग्रामीण जीवन और प्राकृतिक सुंदरता पर आधारित हैं।

9. हीरा सिंह राणा

  • परिचय: कुमाऊंनी भाषा के प्रसिद्ध गीतकार और कवि।
  • विशेषता: उनके गीत कुमाऊंनी लोकजीवन की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।
  • प्रमुख रचनाएं: “हाई कुमाऊंनी” और “म्यर पहाड़।”
  • योगदान: उन्होंने कुमाऊंनी लोकभाषा को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई।

10. प्रेम सिंह नेगी ‘पहाड़ी’

  • परिचय: गढ़वाली साहित्य के प्रति समर्पित कवि।
  • विशेषता: उनके लेखन में पहाड़ी जीवन के संघर्ष और प्रकृति के प्रति प्रेम का सुंदर चित्रण है।
  • प्रमुख रचनाएं: उनकी कविताएं और कहानियां गढ़वाली भाषा में खूब पढ़ी जाती हैं।

11. चंद्र कुंवर बर्त्वाल

  • परिचय: इन्हें “हिमालय का कवि” कहा जाता है।
  • विशेषता: उनकी कविताओं में हिमालय की सुंदरता और शांति का गहन वर्णन है।
  • प्रमुख रचनाएं: “कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल की कविताएं।”

12. डॉ. शिवानंद नौटियाल

  • परिचय: गढ़वाली और हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार।
  • विशेषता: उन्होंने अपने लेखन में सामाजिक समस्याओं और पहाड़ों की चुनौतियों को उठाया।
  • प्रमुख रचनाएं: “गढ़वाल के लोकनायक।”

13. हरिकृष्ण पालीवाल

  • परिचय: गढ़वाली कविताओं के क्षेत्र में प्रतिष्ठित।
  • विशेषता: गढ़वाली भाषा में काव्य रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।
  • प्रमुख रचनाएं: “गढ़वाली लोकगीतों का संग्रह।”

14. जयदत्त वैला ‘ज्योत्सना’

  • परिचय: गढ़वाली साहित्य के प्रमुख स्तंभ।
  • विशेषता: उन्होंने गढ़वाली साहित्य को आधुनिक आयाम दिए।
  • प्रमुख रचनाएं: “गढ़वाल की वाणी।”

15. डॉ. नंदकिशोर धौलाकोटी

  • परिचय: कुमाऊंनी और हिंदी साहित्य के विद्वान।
  • विशेषता: उनके लेखन में पहाड़ी जीवन की जटिलताओं का वर्णन मिलता है।
  • प्रमुख रचनाएं: “उत्तराखंड का साहित्यिक इतिहास।”

16. मोहन सिंह रेहान

  • परिचय: उत्तराखंड के प्रमुख सामाजिक और साहित्यिक कार्यकर्ता।
  • विशेषता: उन्होंने कुमाऊंनी और गढ़वाली साहित्य को नई पहचान दी।
  • प्रमुख रचनाएं: “कुमाऊं का सांस्कृतिक इतिहास।”

17. विद्यासागर नौटियाल

  • परिचय: प्रख्यात गढ़वाली लेखक और कवि।
  • विशेषता: उनकी रचनाओं में सामाजिक जागरूकता का गहरा संदेश है।
  • प्रमुख रचनाएं: “गढ़वाली नाटक संग्रह।”

18. लक्ष्मी शंकर बिष्ट

  • परिचय: आधुनिक कुमाऊंनी साहित्य के प्रमुख स्तंभ।
  • विशेषता: उनकी रचनाओं में उत्तराखंड के सामाजिक जीवन का सजीव चित्रण मिलता है।
  • प्रमुख रचनाएं: “उत्तराखंड के कवि।”

19. प्रेम पंथी

  • परिचय: गढ़वाली भाषा के जाने-माने कवि।
  • विशेषता: उनकी कविताओं में ग्रामीण जीवन और प्रेम का सुंदर मिश्रण मिलता है।
  • प्रमुख रचनाएं: “पंथी कविताएं।”

20. डॉ. वसुंधरा कुमारी

प्रमुख रचनाएं: “पर्वतीय नारी का संघर्ष।”

परिचय: महिला लेखिका जिन्होंने गढ़वाली और कुमाऊंनी साहित्य में योगदान दिया।

विशेषता: उनकी रचनाओं में महिलाओं की भूमिका और सामाजिक बदलाव को दर्शाया गया है।

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