ब्रिटिश शासन में अंडमान-निकोबार की ‘सेल्यूलर जेल’ को काला पानी कहा जाता था, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उत्तराखंड में भी अंग्रेजों ने कुछ गुप्त जेलें और यातना केंद्र बनाए थे। ये जेलें और यातना गृह अंग्रेजों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों को प्रताड़ित करने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे।
1. अल्मोड़ा जेल – क्रांतिकारियों का यातना केंद्र
- अल्मोड़ा जेल 19वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा बनाई गई थी।
- चंद्र सिंह गढ़वाली, जिन्होंने पेशावर में ब्रिटिश आर्मी के खिलाफ विद्रोह किया था, उन्हें यहीं कैद किया गया था।
- पंडित बद्री दत्त पांडे जैसे कई स्वतंत्रता सेनानी यहाँ कैद रहे।
- जेल में क्रांतिकारियों को अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं, जैसे – ठंडे पानी में डुबोना, कोड़ों से मारना और भूखा रखना।
2. पौड़ी गुप्त जेल – पहाड़ों में छिपी यातनागृह
- ब्रिटिश सरकार ने इस जेल का ज़िक्र सरकारी दस्तावेज़ों में नहीं किया, लेकिन स्थानीय इतिहासकारों का मानना है कि यहाँ क्रांतिकारियों को लाकर प्रताड़ित किया जाता था।
- कई सेनानियों को मजबूरन ऊँचाई से धकेल कर मार दिया जाता था।
- आज यह जगह उजाड़ पड़ी है, लेकिन कुछ पुरानी संरचनाएँ अभी भी देखी जा सकती हैं।
3. लोहाघाट का ‘मानसिक असाइलम’ – स्वतंत्रता सेनानियों के लिए नरक
- ब्रिटिश शासन के दौरान लोहाघाट में एक मानसिक अस्पताल बनाया गया था।
- इसमें कई क्रांतिकारियों और विद्रोही भारतीय सैनिकों को कैदी बनाकर रखा जाता था।
- कई इतिहासकारों का मानना है कि यहाँ कैदियों पर मनोवैज्ञानिक और शारीरिक अत्याचार किए जाते थे।
- आज यह जगह ‘आबे वैन स्ट्रीटन अस्पताल’ के नाम से जानी जाती है, और कई स्थानीय इसे भूतिया जगह मानते हैं।
4. ब्रिटिश यातना पद्धतियाँ – पहाड़ों में अमानवीयता की हदें
- अंग्रेज अक्सर स्वतंत्रता सेनानियों को हिमालय की कड़ी ठंड में बिना कपड़ों के छोड़ देते थे।
- कई कैदियों को भूखा-प्यासा रखकर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था।
- कुछ को तेज़ ढलानों से लुढ़का दिया जाता था, जिससे उनकी हड्डियाँ टूट जाती थीं।
- कई बार कैदियों को कड़ी मेहनत करने पर मजबूर किया जाता था, जैसे भारी पत्थर उठाना, बिना आराम किए सड़कें बनवाना आदि।
5. आज की स्थिति – क्या ये जगहें संरक्षित हैं?
- अल्मोड़ा जेल अब एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसमें ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है।
- लोहाघाट का मानसिक अस्पताल अभी भी मौजूद है, लेकिन वहाँ का इतिहास भुला दिया गया है।
- पौड़ी की गुप्त जेलों के बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, और यह स्थान लगभग अज्ञात ही रह गए हैं।