उत्तराखंड राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2000 (Uttar Pradesh Reorganisation Act, 2000) वह ऐतिहासिक अधिनियम है जिसके माध्यम से उत्तर प्रदेश से अलग होकर 27वें राज्य – उत्तराखंड का निर्माण किया गया। यह अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया और 9 नवम्बर 2000 को प्रभाव में आया।
🔹 प्रमुख तिथियाँ (Key Dates):
घटना | तिथि |
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अधिनियम का पारित होना | 1 अगस्त 2000 |
राष्ट्रपति की स्वीकृति | 28 अगस्त 2000 |
राज्य का औपचारिक गठन | 9 नवम्बर 2000 |
🔹 प्रमुख प्रावधान (Key Provisions):
1. राज्य का नाम व सीमाएँ (Name & Boundaries):
- उत्तर प्रदेश से कुल 13 जिले अलग किए गए जिन्हें मिलाकर नया राज्य “उत्तरांचल” बनाया गया (जिसे 2007 में “उत्तराखंड” नाम दिया गया)।
- इसमें पर्वतीय व अर्ध-पर्वतीय क्षेत्र शामिल हैं।
2. राजनीतिक संरचना (Political Structure):
- उत्तराखंड को एक विधान सभा (Unicameral Legislature) के साथ गठित किया गया जिसमें प्रारंभ में 70 सदस्य रखे गए।
- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 153-162 के अंतर्गत)।
- राजधानी के रूप में अस्थायी रूप से देहरादून को चुना गया। (स्थायी राजधानी अब तक निश्चित नहीं)
3. न्यायिक व्यवस्था (Judicial Provisions):
- उत्तराखंड उच्च न्यायालय की स्थापना नैनीताल में की गई।
- उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय से लंबित मामलों का स्थानांतरण अधिनियम के तहत सुनिश्चित किया गया।
4. सेवाओं का विभाजन (Division of Services):
- IAS, IPS, PCS और अन्य राज्य सेवाओं का बंटवारा केंद्र सरकार द्वारा गठित समितियों के माध्यम से किया गया।
- कर्मचारी चयन एवं पदस्थापन हेतु “प्रारंभिक नियुक्ति बोर्ड” की व्यवस्था की गई।
5. आर्थिक एवं वित्तीय व्यवस्था (Financial Setup):
- केंद्र ने राज्य को विशेष सहायता (Special Central Assistance) देने का प्रावधान किया।
- कर, ऋण, परिसंपत्ति, बकाया जैसे मामलों के निपटारे के लिए अलग-अलग समितियाँ गठित की गईं।
6. अन्य विशेष प्रावधान:
- अधिनियम में भाषा, संस्कृतिक संरक्षण, शिक्षा, और प्राकृतिक संसाधनों के नियंत्रण को लेकर राज्य को विशेष अधिकार प्रदान किए गए।
🔹 नाम परिवर्तन (Renaming):
- 2007 में उत्तरांचल का नाम बदलकर “उत्तराखंड” कर दिया गया।
- यह बदलाव “उत्तरांचल (नाम परिवर्तन) अधिनियम, 2006” द्वारा हुआ, जो 1 जनवरी 2007 से प्रभावी हुआ।
🔹 संविधान से संबंध (Link to Constitution):
- यह अधिनियम अनुच्छेद 2 और 3 के तहत केंद्र सरकार को राज्य पुनर्गठन का अधिकार देता है।
- राष्ट्रपति की अनुशंसा और संसद की मंजूरी आवश्यक है।
🔹 वर्तमान में प्रासंगिकता (Current Relevance):
- विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे:
- राज्य निर्माण से जुड़ी तिथि
- अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
- उच्च न्यायालय की स्थापना
- नाम परिवर्तन प्रक्रिया
उत्तराखंड राज्य पुनर्गठन अधिनियम न केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया का परिणाम था, बल्कि यह क्षेत्रीय पहचान, प्रशासनिक दक्षता और भू-सांस्कृतिक आवश्यकताओं की स्वीकृति का प्रतीक भी है। यह अधिनियम राज्य निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण आधार प्रदान करता है।