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होली: रंगों का त्यौहार और इसकी सांस्कृतिक महत्ता

परिचय होली, जिसे ‘रंगों का त्यौहार’ कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख पर्व है जो हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीय समुदाय द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

होली का ऐतिहासिक महत्व होली का संबंध प्राचीन हिंदू ग्रंथों से है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भक्त प्रह्लाद के पिता, असुर राजा हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को आदेश दिया। होलिका को आग में न जलने का वरदान था, लेकिन जब वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी, तो स्वयं जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। इस घटना की स्मृति में होली का पर्व मनाया जाता है।

होली के अनुष्ठान

  1. होलीका दहन: होली से एक दिन पहले लकड़ियां, उपले और अन्य सामग्री एकत्र कर रात में होलिका दहन किया जाता है। इससे नकारात्मकता और बुरी शक्तियों के नाश का प्रतीक माना जाता है।
  2. रंग वाली होली: अगले दिन लोग एक-दूसरे पर रंग, गुलाल और पानी डालकर होली का उत्सव मनाते हैं। इस दिन रिश्ते-नाते मजबूत करने और दुश्मनी भुलाने का अवसर होता है।

होली के रंगों का महत्व हर रंग के पीछे एक खास अर्थ होता है:

होली का आधुनिक स्वरूप आजकल होली में कई नए चलन जुड़ गए हैं जैसे फूलों की होली, इको-फ्रेंडली रंगों का प्रयोग और संगीत समारोह। इसके अलावा, भारत के विभिन्न हिस्सों में होली के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। मथुरा और वृंदावन की होली विश्वभर में प्रसिद्ध है।

सावधानियां होली खेलते समय त्वचा और आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। केमिकल युक्त रंगों की बजाय प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना सुरक्षित होता है।

निष्कर्ष होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, सद्भावना और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह पर्व हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है और जीवन में उत्साह भरता है।

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