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भारत-पाकिस्तान तनाव 2025 और डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता: एक संतुलित हस्तक्षेप (दोनों देशों के बीच युद्ध विराम करने पर सहमति बनी)

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया था। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 27 निर्दोष लोगों की जान गई, जिसमें 25 हिंदू तीर्थयात्री भी शामिल थे। इस हमले की ज़िम्मेदारी ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, लेकिन भारत ने इसके पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकियों का हाथ बताया।

इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 7 मई को पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकानों पर मिसाइल और एयर स्ट्राइक किए, जिसमें बहावलपुर, सियालकोट, मुज़फ़्फ़राबाद जैसे इलाकों को निशाना बनाया गया। भारत के अनुसार, इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर के करीबी मारे गए।

इस संघर्ष के दौरान दोनों देशों की वायु सेनाओं के बीच भीषण हवाई झड़पें हुईं, जिसमें भारत के तीन लड़ाकू विमान (राफेल, मिग-29 और सुखोई-30) गिराए गए, जबकि पाकिस्तान का एक विमान क्षतिग्रस्त हुआ।

लगातार 12 रातों तक नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी और घुसपैठ की घटनाएं होती रहीं, जिससे जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में नागरिकों को भारी नुकसान और विस्थापन का सामना करना पड़ा।

हालांकि, 10 मई को अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों देशों ने “पूर्ण और तत्काल युद्धविराम” पर सहमति जताई। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते की घोषणा करते हुए दोनों देशों की “सामान्य समझ और बुद्धिमत्ता” की सराहना की।

10 मई 2025 को, ट्रंप की मध्यस्थता और कूटनीतिक दबाव के बाद भारत और पाकिस्तान ने एक संयुक्त संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें निम्न बिंदु शामिल थे:

बिंदुविवरण
1.सीमावर्ती गोलाबारी पूर्णतः बंद होगी
2.ड्रोन हमले, घुसपैठ पर पूर्ण रोक लगेगी
3.पाकिस्तान आतंकी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करेगा (विशेषकर लश्कर और जैश के खिलाफ)
4.भारत सिंधु जल समझौते को फिर से बहाल करेगा
5.दोनों देशों के हाई-कमीशन फिर से सक्रिय होंगे
6.एक नई द्विपक्षीय वार्ता प्रक्रिया (New Dialogue Track) शुरू की जाएगी, जिसकी मेज़बानी UAE या अमेरिका कर सकता है

ट्रंप का बयान :

India and Pakistan are two great nations. This region deserves peace, not war. I congratulate both Prime Ministers for showing wisdom and stepping back from the brink.

(“भारत और पाकिस्तान दो महान राष्ट्र हैं। यह क्षेत्र शांति का हक़दार है, युद्ध का नहीं। मैं दोनों प्रधानमंत्रियों को बधाई देता हूं जिन्होंने समझदारी दिखाई और युद्ध की कगार से पीछे हटे।”)


वैश्विक प्रतिक्रिया:


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