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प्राचीनता और स्थापत्य शैली (Antiquity & Architectural Styles)

यह टॉपिक इसलिए ज़रूरी है क्योंकि उत्तराखंड के कई मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थापत्य और ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेमिसाल हैं। एग्ज़ाम में यही पूछा जाता है:

A. मंदिरों की प्राचीनता (Antiquity of Temples)

मंदिर का नामनिर्माण कालराजवंश / संस्थापक
बैजनाथ मंदिर (बागेश्वर)9वीं-12वीं सदीकत्युरी वंश
कटारमल सूर्य मंदिर (अल्मोड़ा)9वीं सदीकत्युरी राजा कटारमल
केदारनाथ मंदिर (रुद्रप्रयाग)8वीं सदी (संवर्धन आदि शंकराचार्य)पांडव काल से जुड़ी मान्यता
जागेश्वर धाम (अल्मोड़ा)7वीं-14वीं सदीकत्यूरी और चंद वंश
त्रियुगीनारायण मंदिर (रुद्रप्रयाग)प्राचीन वैदिक कालपौराणिक – शिव-पार्वती विवाह स्थल

ये मंदिर ना सिर्फ धार्मिक रूप से पवित्र हैं, बल्कि इनसे उत्तराखंड का इतिहास भी झलकता है।


B. स्थापत्य शैली (Architectural Style of Temples)

उत्तराखंड के मंदिरों में मुख्यतः दो स्थापत्य शैलियाँ देखने को मिलती हैं:

1. नागरा शैली (Nagara Style)

2. काष्ठ शैली (Wooden Architecture)


C. मंदिर निर्माण से जुड़े वंश और संरक्षक

राजवंशयोगदान
कत्युरी वंशउत्तराखंड में अधिकांश प्राचीन मंदिर इन्हीं के समय बने (जैसे बैजनाथ, कटारमल)।
चंद वंशजागेश्वर मंदिर का विस्तार व पुनर्निर्माण कराया।
गोरखा राजकुछ मंदिरों की सुरक्षा की, पर ज़्यादा योगदान नहीं।
ब्रिटिश कालसंरक्षण कार्य हुआ पर नया निर्माण बहुत कम।

EXAM में आने वाले संभावित सवाल:

Q. कटारमल सूर्य मंदिर किस स्थापत्य शैली में बना है?

A. नागरा शैली

Q. बैजनाथ मंदिर समूह का निर्माण किस राजवंश ने कराया था?

A. कत्युरी वंश

Q. उत्तराखंड के किन मंदिरों में लकड़ी की काष्ठ शैली देखने को मिलती है?

A. गोलू देवता मंदिर, महसू देवता मंदिर

Q. जागेश्वर मंदिर किस काल में बना?

A. 7वीं से 14वीं सदी के बीच, कत्युरी और चंद वंश के काल में।


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