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“उत्तराखंड के रहस्यमयी लाटू देवता का मंदिर – जहां पुजारी की आंखों पर पट्टी बांधी जाती है”

हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां की हर घाटी, हर मंदिर और हर लोककथा किसी न किसी गहरे रहस्य और विश्वास से जुड़ी होती है। ऐसी ही एक विलक्षण आस्था का केंद्र है – लाटू देवता का मंदिर, जो आध्यात्मिकता, रहस्य और परंपरा का अनूठा संगम है।


मंदिर का भूगोलिक परिचय:

लाटू देवता का मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद के वाण गांव में स्थित है। यह स्थान नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा के समीप, रूपकुंड और बेदिनी बुग्याल के ट्रैक रूट पर पड़ता है। समुद्रतल से लगभग 2,100 मीटर (7,000 फीट) की ऊँचाई पर बसा यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति दोनों का केंद्र है।


लाटू देवता कौन हैं?

लोकमान्यता के अनुसार, लाटू देवता मां नंदा देवी के प्रधान रक्षक और सैन्य प्रमुख हैं। जब नंदा देवी कैलाश की यात्रा पर जाती हैं, तब लाटू देवता उनके मार्ग की निगरानी और सुरक्षा करते हैं। लाटू को “लोकपाल देवता” की उपाधि प्राप्त है और वे इस क्षेत्र के मुख्य स्थानीय देवता माने जाते हैं।


रहस्य: आंखों पर पट्टी क्यों बांधी जाती है?

मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश केवल एक विशेष पुजारी को ही दिया जाता है, और वह भी आंखों पर काली पट्टी बांधकर

इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है:


अनूठी पूजा परंपरा:


वार्षिक आयोजन:

मंदिर के द्वार साल में केवल एक बार, ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को खोले जाते हैं। इस अवसर पर स्थानीय लोग एवं श्रद्धालु विशेष अनुष्ठान, मेले, और नंदा देवी यात्रा की शुरुआत के प्रतीक रूप में इसमें भाग लेते हैं।


सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व:


पर्यटन और ट्रैकिंग दृष्टिकोण से महत्व:


लाटू देवता का मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, धार्मिक विश्वास और रहस्यवाद का जीवंत प्रतीक है। यह मंदिर भक्ति, भय और मर्यादा का ऐसा उदाहरण है जो आधुनिक दुनिया में भी अपनी अलौकिकता और गूढ़ता बनाए हुए है। यदि आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक गहराई को समझना चाहते हैं, तो लाटू देवता के मंदिर तक की यात्रा अवश्य करनी चाहिए – चाहे वह शरीर से हो या विचारों से।


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