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उत्तराखंड की जलवायु परिवर्तन से जूझती नदियाँ….

एक ऐसा प्रदेश जहाँ से पवित्र नदियाँ उत्पन्न होती हैं और समस्त भारत को जीवन देती हैं। भागीरथी, अलकनंदा, यमुना, मंदाकिनी, टौंस, गौला, कोसी, रामगंगा जैसी नदियाँ इस हिमालयी राज्य की धमनियाँ हैं। लेकिन बीते कुछ दशकों में जिस तरह जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियाँ बढ़ी हैं, उससे उत्तराखंड की नदियाँ गंभीर संकट में आ गई हैं।


1️⃣ जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: एक परिचय

जलवायु परिवर्तन के तहत पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है। इससे ग्लेशियर पिघलने, वर्षा चक्र के अनियमित होने, सूखा, बाढ़ और असमय आपदाओं की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य, जहाँ अधिकांश नदियाँ हिमनदों (ग्लेशियर) से निकलती हैं, वहाँ यह परिवर्तन अत्यधिक प्रभाव डालता है।


2️⃣ उत्तराखंड की प्रमुख नदियाँ और उनके स्रोत

नदी का नामउद्गम स्थलविशेषता
भागीरथीगौमुख (गंगोत्री ग्लेशियर)गंगा की मुख्य धारा
अलकनंदासतोपंथ ग्लेशियरविष्णुप्रयाग में मिलती है
यमुनायमुनोत्री ग्लेशियरपश्चिमी उत्तराखंड की जीवनरेखा
मंदाकिनीचोराबारी ग्लेशियर (केदारनाथ)2013 आपदा से जुड़ी
टौंसहिमाचल सीमा के पासयमुना की सहायक नदी

3️⃣ नदियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रभाव

(क) ग्लेशियरों का तीव्र पिघलाव

गंगोत्री ग्लेशियर हर साल औसतन 22 मीटर पीछे हट रहा है। इस कारण भागीरथी जैसी नदियों में शुरूआती जलप्रवाह अधिक लेकिन दीर्घकाल में जल की कमी होगी।

(ख) अनियमित वर्षा और बर्फबारी

मानसून अनियमित हो गया है। कभी अचानक भारी वर्षा और कभी सूखा – इस कारण बाढ़ और जल संचय दोनों में समस्या है।

(ग) अचानक बाढ़ की घटनाएं

केदारनाथ त्रासदी (2013), रैणी आपदा (2021), भागीरथी घाटी बाढ़ जैसी घटनाएँ दिखाती हैं कि नदियों में अचानक जलस्तर बढ़ना आम हो गया है।

(घ) मानवजनित कारणों से जलप्रदूषण

नदी किनारे हो रहा अवैध निर्माण, बांधों की अधिकता, रिवर ट्रेनिंग, सीवेज और औद्योगिक कचरे ने नदियों की स्वच्छता और पारिस्थितिकी पर गंभीर असर डाला है।


4️⃣ कुछ प्रमुख उदाहरण

(i) केदारनाथ आपदा (2013)

मंदाकिनी नदी में अचानक जलस्तर वृद्धि और चोराबारी झील का फटना – इसका सीधा कारण हिमस्खलन और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न तीव्र वर्षा थी।

(ii) ऋषिगंगा आपदा (2021)

चमोली जिले की ऋषिगंगा नदी में ग्लेशियर टूटने से सैलाब आ गया। NTPC परियोजना को भारी नुकसान हुआ और कई जानें गईं।


5️⃣ जलवायु परिवर्तन से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन


6️⃣ समाधान और संरक्षण की दिशा में प्रयास

सरकारी प्रयास

जन जागरूकता और लोकभागीदारी


7️⃣ भविष्य की चुनौतियाँ


उत्तराखंड की नदियाँ केवल जल की धारा नहीं हैं, ये संस्कृति, आस्था और जीवन की प्रतीक हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन, लापरवाही और अत्यधिक दोहन ने इन्हें खतरे में डाल दिया है।
आज जरूरत है कि हम विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाएं, नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को समझें और उनकी रक्षा करें – तभी हम आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवनदायिनी धरोहर को बचा पाएँगे।


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