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उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की चुनौतियाँ और संभावनाएँ…

महिलाएँ सदियों से अपने परिवार, समाज और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार स्तंभ रही हैं। खेतों की जुताई से लेकर पशुपालन, जल-संग्रहण, ईंधन इकट्ठा करना, बच्चों का पालन-पोषण — हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी है। लेकिन आज भी वे कई सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक चुनौतियों का सामना कर रही हैं।

आइए विस्तार से जानते हैं उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की स्थिति, चुनौतियाँ और आगे की संभावनाओं को:


उत्तराखंड में महिलाओं की वर्तमान स्थिति


मुख्य चुनौतियाँ

1️⃣ शैक्षिक पिछड़ापन:

2️⃣ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ:

3️⃣ आर्थिक स्वतंत्रता की कमी:

4️⃣ सामाजिक मान्यताएँ और परंपराएँ:

5️⃣ माइग्रेशन (पलायन):


महिला सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयास

1️⃣ महिला मंगल दल (Mahila Mangal Dal):

2️⃣ स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups – SHGs):

3️⃣ सरकारी योजनाएँ:

4️⃣ शिक्षा में सुधार:

5️⃣ महिला पुलिस बल एवं हेल्पलाइन:


संभावनाएँ और भविष्य की राह

डिजिटल शिक्षा:
ऑनलाइन शिक्षा से गाँवों की बेटियाँ भी तकनीकी शिक्षा हासिल कर सकती हैं।

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म:
हस्तशिल्प, ऑर्गेनिक उत्पाद, लोक कला को ऑनलाइन बेचकर महिलाएँ आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

पर्यटन में भागीदारी:
घूमंतू पर्यटन (Homestay) में महिलाओं को रोजगार मिल सकता है।

जैविक खेती:
महिलाएँ जैविक कृषि और औषधीय पौधों के उत्पादन में भी बेहतर कर सकती हैं।

स्थानीय नेतृत्व:
ग्राम पंचायत से लेकर उच्च प्रशासनिक पदों तक महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है।


उत्तराखंड की महिलाएँ आज बदलाव की नई इबारत लिख रही हैं। चुनौतियाँ जरूर हैं, लेकिन सरकारी प्रयासों, जागरूकता और महिलाओं के आत्मबल के कारण अब तस्वीर बदल रही है। यदि शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सहायता और सामाजिक समर्थन का दायरा और बढ़ाया जाए तो उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण का सपना पूरी तरह साकार हो सकता है।


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