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आचार संहिता: लोकतंत्र की मर्यादा का दर्पण (Model Code of Conduct: The Mirror of Democratic Decorum)

लोकतंत्र की सफलता केवल चुनाव कराने से नहीं, बल्कि निष्पक्ष, स्वतंत्र और शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया से सुनिश्चित होती है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु “आचार संहिता” (Model Code of Conduct – MCC) एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह एक प्रकार की नैतिक मार्गदर्शिका है, जो चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए आचरण के मानक तय करती है।

आचार संहिता क्या है?

आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा तैयार किए गए नियमों का एक ऐसा संकलन है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी राजनीतिक दल या प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे कार्य न करे जिससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो, मतदाता भ्रमित हो या सामाजिक सौहार्द बिगड़े।

हालाँकि यह कोई कानूनी दस्तावेज नहीं है, लेकिन इसका पालन कराना चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी होती है और यदि कोई पार्टी या उम्मीदवार इसका उल्लंघन करता है तो आयोग उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है।

आचार संहिता की उत्पत्ति कहाँ से हुई?

आचार संहिता की प्रेरणा भारत ने आयरलैंड जैसे कुछ यूरोपीय देशों से ली है। लेकिन इसका मौलिक और व्यावहारिक स्वरूप भारत में ही विकसित हुआ। भारत में पहली बार आचार संहिता का प्रयोग 1960 के दशक में हुआ जब केरल राज्य में विधानसभा चुनावों के दौरान यह संहिता प्रयोगात्मक तौर पर लागू की गई। इसके अच्छे परिणाम देखने के बाद चुनाव आयोग ने इसे देशभर के चुनावों में अपनाना शुरू कर दिया।

पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर कब लागू हुई?

भारत में 1962 के आम चुनाव के दौरान पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर आचार संहिता लागू की गई थी। इसे उस समय अस्थायी रूप से तैयार किया गया था लेकिन इसके सकारात्मक प्रभावों को देखते हुए चुनाव आयोग ने इसे स्थायी रूप से चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बना लिया।

आचार संहिता में क्या-क्या शामिल होता है?

  1. सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग वर्जित है – कोई भी सत्तारूढ़ दल सरकारी संसाधनों का उपयोग अपने प्रचार के लिए नहीं कर सकता।
  2. धार्मिक या जातीय भावनाओं का दुरुपयोग – प्रचार में धर्म, जाति या संप्रदाय के आधार पर वोट माँगना प्रतिबंधित होता है।
  3. राजनीतिक सभाओं की अनुमति – चुनाव आयोग से अनुमति लिए बिना कोई रैली या सभा आयोजित नहीं की जा सकती।
  4. वोटरों को प्रभावित करने के उपाय निषिद्ध हैं – जैसे कि पैसे, शराब या उपहार देना।
  5. शांति व्यवस्था बनाए रखने की ज़िम्मेदारी – राजनीतिक दलों को उकसाने वाले भाषणों और हिंसा से बचना होता है।

आचार संहिता लागू कब होती है?

जैसे ही चुनाव आयोग किसी राज्य या देश में चुनाव की तारीखों की घोषणा करता है, उसी समय से आचार संहिता लागू हो जाती है और चुनाव परिणामों की घोषणा तक लागू रहती है।

भारत में आचार संहिता ने लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया है। यह न केवल राजनीतिक दलों को मर्यादित आचरण के लिए बाध्य करती है बल्कि मतदाताओं को भी यह विश्वास दिलाती है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी होंगे। हालाँकि यह कानूनन बाध्यकारी नहीं है, लेकिन चुनाव आयोग की सख्ती और जागरूक मीडिया व समाज के दबाव ने इसे अत्यधिक प्रभावशाली बना दिया है। समय-समय पर इसमें सुधार और संशोधन की आवश्यकता रहती है ताकि बदलते राजनीतिक परिदृश्य में भी यह अपनी प्रासंगिकता बनाए रखे।


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