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उत्तराखंड के प्रमुख मेले और त्योहार: परंपरा की पहचान….

मेले और त्योहार सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक एकता के प्रतीक हैं। यहाँ हर पर्वत, नदी और गाँव अपनी परंपरा में रचा-बसा है, और हर मेला-त्योहार जीवन के उल्लास को दर्शाता है।


1. उत्तरायणी मेला (उत्तरायण पर्व)


2. नंदा देवी मेला


3. जागेश्वर मेला


4. बैसाखी मेला (पौड़ी)


🕊️ 5. जौलजीबी मेला


6. रामलीला और दशहरा उत्सव (अल्मोड़ा)


उत्तराखंड के त्योहारों की विशेषताएँ:

विशेषताविवरण
धार्मिकताहर मेला और त्योहार किसी न किसी देवी-देवता से जुड़ा होता है।
सामाजिक एकताअलग-अलग जाति, गाँव और समुदायों को जोड़ता है।
स्थानीय संस्कृतिलोकगीत, नृत्य, पहनावा और व्यंजन इन आयोजनों का हिस्सा होते हैं।
पर्यटनये मेले उत्तराखंड के पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं।

उत्तराखंड के मेले और त्योहार केवल उत्सव नहीं, बल्कि जीवित परंपराएँ हैं जो प्रकृति, आध्यात्म और समाज के बीच संतुलन बनाती हैं। ये आयोजन पीढ़ी-दर-पीढ़ी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने का कार्य करते हैं। आज जब आधुनिकता में लोक संस्कृति पीछे छूट रही है, ऐसे में इन मेलों का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

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