उत्तराखंड के प्रमुख मेले और त्योहार: परंपरा की पहचान….

मेले और त्योहार सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक एकता के प्रतीक हैं। यहाँ हर पर्वत, नदी और गाँव अपनी परंपरा में रचा-बसा है, और हर मेला-त्योहार…

“उत्तराखंड में शंकराचार्य की धर्मयात्रा और चारधाम की स्थापना”…

1. परिचय: जगदगुरु शंकराचार्य कौन थे? जगदगुरु शंकराचार्य 8वीं सदी के महान सन्यासी, दार्शनिक और भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरणकर्ता थे। उन्होंने अद्वैत वेदांत दर्शन को देशभर में फैलाया और विभिन्न…

श्रद्धा, प्रेम और बलिदान की अमर गाथा: नैनादेवी और चांदपुरगढ़ का वीर….

उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपरा और लोकसंस्कृति में लोककथाएँ सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों, ऐतिहासिक चेतना और भावनात्मक विरासत की वाहक हैं। जहां 'राजुला-मालूशाही', 'हरीश देवला', और 'गोरा-बादल'…

उत्तराखंड में पारंपरिक वास्तुकला का संरक्षण और उसका आधुनिक उपयोग: एक सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण..

1. भूमिका उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, केवल धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वास्तुकला की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध राज्य है। यहाँ…

गढ़वाली और कुमाऊँनी भाषा और साहित्य…

गढ़वाली और कुमाऊँनी भाषा और साहित्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा हैं। दोनों भाषाएँ पहाड़ी क्षेत्रों की जीवनशैली, परंपराओं और आस्थाओं से गहरे जुड़े हुए हैं। यहाँ इन…