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उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन और सतत विकास

(Disaster Management and Sustainable Development in Uttarakhand)

उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जो प्राकृतिक सुंदरता, पवित्र धार्मिक स्थलों और जैव विविधता से भरपूर है। लेकिन यहाँ की भौगोलिक स्थिति इसे आपदाओं के लिए अति संवेदनशील भी बनाती है। भूस्खलन, बादल फटना, भूकंप, बाढ़ जैसी आपदाएँ यहाँ आम हो गई हैं। ऐसे में राज्य के विकास को टिकाऊ (Sustainable) बनाना और आपदा प्रबंधन को मज़बूत करना समय की आवश्यकता बन चुका है।


उत्तराखंड में प्रमुख प्राकृतिक आपदाएँ

1️⃣ भूस्खलन (Landslides):

2️⃣ बाढ़ (Floods):

3️⃣ बादल फटना (Cloudburst):

4️⃣ भूकंप (Earthquakes):


आपदा प्रबंधन की वर्तमान स्थिति


सतत विकास की चुनौतियाँ


सरकार द्वारा उठाए गए कदम

1️⃣ ग्रीन रोड पॉलिसी 2023:

2️⃣ मास्टर प्लान 2040:

3️⃣ चारधाम यात्रा के लिए स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट।

4️⃣ वन संरक्षण और पुनर्वनीकरण अभियान।

5️⃣ पलायन आयोग द्वारा गाँवों के पुनर्निर्माण की योजनाएँ।


समाधान और सुझाव


उत्तराखंड की प्रकृति जितनी खूबसूरत है उतनी ही संवेदनशील भी। यदि हम विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान नहीं देंगे तो आने वाली पीढ़ियों के लिए संकट खड़ा हो सकता है। राज्य को सतत विकास मॉडल अपनाना होगा जिसमें पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था तीनों का संतुलन बना रहे। आपदा प्रबंधन को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सुदृढ़ करना अनिवार्य है।

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