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उत्तराखंड की पारंपरिक लोकसंस्कृति और लोकनाट्य…

(Traditional Folk Culture and Folk Dramas of Uttarakhand)

उत्तराखंड केवल हिमालय की गोद में बसा एक राज्य नहीं है, बल्कि यह भारत की जीवंत लोकसंस्कृति का एक प्रमुख केंद्र भी है। यहाँ की संस्कृति में लोकगीत, लोकनृत्य, वाद्ययंत्र, रीति-रिवाज और पारंपरिक लोकनाट्य प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह लोकसंस्कृति पीढ़ियों से मौखिक रूप में संरक्षित होती आई है और आज भी ग्रामीण जीवन में जीवंत है।


🔷 उत्तराखंड की प्रमुख लोकसंस्कृति के घटक:

1. लोकगीत (Folk Songs):

2. लोकनृत्य (Folk Dances):

3. लोकवाद्य (Folk Instruments):


🔷 पारंपरिक लोकनाट्य (Folk Theatre of Uttarakhand):

1. जागर (Jagar):

2. थोली (Tholi):

3. पंडवानी (Pandavani):

4. रामलीला और रासलीला:


🔷 लोकसंस्कृति की विशेषताएँ:


🔷 उत्तराखंड सरकार और लोकसंस्कृति संरक्षण:


🔷 चुनौतियाँ:


🔷 समाधान:


उत्तराखंड की पारंपरिक लोकसंस्कृति और लोकनाट्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि यह हमारे समाज की पहचान, इतिहास और जीवन शैली के संवाहक भी हैं। इनका संरक्षण केवल सांस्कृतिक उत्तरदायित्व नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर को बचाने का कार्य है।


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