अंतरिम विधानसभा-
उ. प्र. पुनर्गठन विधेयक – 2000 मे उत्तराखंड के अंतरिम विधानसभा हेतु 31 विधायकों की व्यवस्था की गई थी। इन 31 विधायकों में से 22 सदस्य 1996 में उ . प्र. विधान परिषद के सदस्य थे। अंतरिम विधानसभा के गठन से ठीक पहले विधान परिषद के 9 सदस्यों में से 1 सदस्य का कार्यकाल समाप्त हो जाने के कारण गठन के समय विधान परिषद के सदस्यों की संख्या 8 रहा गई थी। अत : अंतरिम विधानसभा का गठन 30 विधायकों से किया गया।
भाजपा का बहुमत होने के कारण 9 नवंबर 2000 को उसी के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ और राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला ने नित्यानंद स्वामी को राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाया। अंतरिम मंत्री परिषद में मुख्यमंत्री सहित नो कैबिनेट मंत्री तथा चार राज्यमंत्री थे।
अंतरिम विधानसभा के कुल 30 विधायकों में से 23 भाजपा के, 3 सपा के तथा 2-2 बसपा वह कांग्रेस के थे । गठन के ठीक बाद सपा के एक विधायक के पार्टी छोड़कर उत्तराखंड जनवादी पार्टी का गठन का लेने के कारण सपा विधायकों की संख्या 2 रह गई थी। विपक्षी की तीनों दलों के बराबर होने के कारण अंतरिम विधानसभा में कोई प्रतिपक्ष का नेता नहीं बन सका था।
नित्यानंद स्वामी के क्या पुत्र दे देने के बाद 29 अक्टूबर 2001 को भगत सिंह कोश्यारी अंतरिम सरकार की दूसरे मुख्यमंत्री बने और 2 मार्च 2002 तक मुख्यमंत्री रहे।
कोश्यारी के अंतरिम मंत्री परिषद में मुख्यमंत्री सहित 9 कैबिनेट मंत्री तथा तीन राज्यमंत्री थे।
अंतरिम विधानसभा के अध्यक्ष प्रकाश पंत बनाए गए थे और प्रथम सत्र 9 जनवरी 2001 से शुरू हुआ था।
प्रथम निर्वाचित विधानसभा-
राज्य में प्रथम विधानसभा चुनाव 14 फरवरी 2002 को हुआ था, जिसमें कुल 54.34% मतदान हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस को 36, भाजपा को 19, बसपा को 7, उ क्रांद को 4, राकांपा को एक, तथा 3 सीटें निर्दलीय विधायकों को मिली थी। बाद में एक राकांपा और तीन निर्दलीय विधायकों के कांग्रेस में शामिल हो जाने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 40 हो गई थी। 2 मार्च 2002 को कांग्रेस की सांसद नारायण दत्त तिवारी ने राज्य के प्रथम निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। बाद में वह राम नगर विधानसभा सीट के विधायक चुने गए थे। इस विधानसभा में केवल 4 महिलाओं ने( 2-2 कांग्रेस व भाजपा से) प्रतिनिधित्व किया था। यशपाल आर्य को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था।
दूसरी निर्वाचित विधानसभा-
राज्य में दूसरी विधानसभा के लिए आम चुनाव 21 फरवरी 2007 को संपन्न हुआ था। इसमें कुल63.6% मतदान हुआ था। इस चुनाव में भाजपा को 36, कांग्रेस को 20, बसपा को 8, उक्रांद को तीन व निर्दलीय प्रत्यशियों को 3 सीटें मिली थी। इसमें भी केवल 4 महिलाएं निर्वाचित हुई थी। 8 मार्च, 2007 को भाजपा के भुवन चंद्र खंडूरी राज्य के दूसरे निर्वाचित मुख्यमंत्री बने थे। विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर थे। खंडूरी के इस्तीफा देने के बाद 25 जून, 2009 को खंडूरी सरकार में राष्ट्रीय मंत्री रहे रमेश पोखरियाल निशंक ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और इस पद पर केवल 2 वर्ष 2 माह 18 दिन रहे। 11 सितंबर, 2011 को खंडूरी पुणे मुख्यमंत्री बने और 3 मार्च, 2012 तक इस पद पर रहे।
तृतीय निर्वाचित विधानसभा-
तृतीय विधानसभा के लिए मतदान 30 जनवरी 2012 को हुए थे, इसमें कुल67.70% मतदान हुआ था। इस चुनाव में भाजपा को 31, कांग्रेस को 32, बसपा को 3,उक्रांद को एक 1 निर्दलीय को 3 सीटें मिली थी। इस बार 5 महिलाएं चुनाव जीती थी। कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया था। 13 मार्च, 2012 को कांग्रेस सांसद विजय बहुगुणा राज्य के सातवें मुख्यमंत्री बने थे।
चतुर्थ निर्वाचित विधानसभा-
चतुर्थ विधानसभा के लिए 2017 में मतदान हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ बीजेपी ने 70 मे से 57 सीटें अपने नाम की कांग्रेस को 11 सीटें जबकि 2 सीटें निर्दलीय को प्राप्त हुई या राज्य इतिहास का पहला चुनाव था जिसमें किसी एक पार्टी को इतनी अधिक सीटें प्राप्त हुई भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री चुना।