जौनसारी जनजाति
राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जनजाति समूह है ।
गढ़वाल मंडल की मुख्य व सबसे बड़ी जनजाति है।
निवास-
कालसी, चकराता, त्यूनी , लाखामंडल जौनपुर ( टिहरी)
कालसी, चकराता,त्यूनी को संयुक्त रूप से जौनसार बावर कहा जाता है।
पांडवों को अपना पूर्वज मानते हैं। मुख्य भाषा जौनसारी है जौनसारी बाबर में 39 पट्टी,358 राजस्व ग्राम है।
वेशभूषा-
पुरुष परिधान- झंगोली ( ऊनी पजामा कोट)
डिगुवा ( ऊनी टोपी)
वपकन ( गर्म चोगा)
महिला परिधान-झग्गा ( सूती कुर्ती, घागरा)
ढ़ाँट (रुमाल)
आल ( रंग – बिरंगे जूते)
चोल्टी ( महिलाएं)
सामाजिक व्यवस्था- पितृसत्तात्मक व्यवस्था है।
संयुक्त परिवार प्रथा।
विवाह पूर्व लड़की ध्यांति कहलाती है। और विवाह उपरांत रयान्ति कहलाती है।
बहुपति विवाह प्रचलन अब समाप्त हो गया है
यह मुख्यतः हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं।
प्रमुख देवता महासू है। महासू देवता का आशय महाशिव से है ।
अन्य में वासिक,बोठा ,पवासी ,चोल्दा कुलदेवता के रूप में प्रसिद्ध है।
मंदिर प्राय: लड़की पत्थर निर्मित है,हनोल इनका प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थल है।
पहले पंचायत की जगह खुमरी नामक समिति थी। खुमरी का प्रमुख सयाणा कहलाता था।
लोकगीत-
हारूल , माँगल ,छोड़े ,वीरासू ,शिलोंगु, केदार छाया,रणारात ,गोडावड आदि है ।
लोक नृत्य-
जंगबाजी,णैन्ता ,हारुल परात ,ठोउड़ा, सामूहिक मंडवणा ,तांदी ,मरोज , तांडववला,छोड़ों ,धीई ,घुण्डचा आदि हैं .
प्रमुख त्योहार व मेले-
विस्सू ( वैशाखी पर ) मनाये जाने वाला प्रमुख त्योहार है
जागड़ा- भादो माह में ( महासू देवता का स्नान)
नुणाई – सावन में
दीपावली-
एक महा बाद मनाते हैं , तथा भिमल लकड़ी का हौला जलाया जाता है(भिमल की लकड़ियों को एक साथ जलाना)
इस दिन को भिरूड़ी कहा जाता है और खेतों में भैलो खेला जाता है।
जन्माष्टमी को अठोई पर्व के रूप में बनाते हैं।
माघ त्योहार- 1 माह तक चलता है।
दशहरा- दशहरा को पांचो के( पांडवों का त्यौहार) रूप में मनाते हैं।
यहां होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, रामनवमी, हरियाली तीज, करवा चौथ प्रया: नहीं मनाये जाते हैं।
विजयदशमी को पांयता कहा जाता है। नुणाई मेला भी इनका प्रसिद्ध उत्सव है ।
स्थानीय भाषा में मेलों को गनयात /गण्यात भी कहा जाता है।
प्रमुख मेले –
विसू मेला
वीर केसरी मेला( 3 मई प्रतिवर्ष) वीर केसरी चंद की याद में
मौण मेला( मछली पकड़ने से संबंधित क्रियाकलाप किए जाते हैं ) मुख्यतः मौण मेला अलगाढ़ नदी पर आयोजित होता है ।
जौनसारी जनजाति में जौनसारी संगीत के जनक नन्द लाल भारती को कहा जाता है ।
धन्यवाद