बोक्सा जनजाति-

बोक्सा जनजाति-

निवास स्थान- उधम सिंह नगर- बाजपुर, गदरपुर, काशीपुर तराई क्षेत्र, नैनीताल– रामनगर

पौड़ी– दुगड्डा ,देहरादून– विकासनगर, डोईवाला, सहसपुर

नैनीताल व उधम सिंह नगर के बोक्सा बहुल क्षेत्र को बुकसाड कहा जाता है।

स्वयं को पंवार राजपूत कहते हैं।

सर्वप्रथम बनबसा( चंपावत) में बसे थे( 16 वीं शताब्दी के आस पास )

भाषा व परिधान-

स्वयं की कोई विशिष्ट भाषा नहीं है।

क्षेत्राअनुसार भावरी , कुम्मया ,रचभैसी बोलियां हैं। परिधान सामान्य है।

सामाजिक व्यवस्था-

5 गोत्रों ( उपजातियों )में विभक्त हैं।

यदुवंशी , पंवार, राजवंशी,परतजा व तुनवार

समगोत्री विवाह निषेध है।

समाज पितृसत्तात्मक है.

महिलाओं की स्थिति बेहतर है।

आइने अकबरी पुस्तक में में बुक्साड क्षेत्र का उल्लेख मिलता है।

महर बोक्सा भी इनके समुदाय का हिस्सा है।

धर्म व संस्कृति-

हिंदू धर्म का पूर्ण प्रभाव देखने को मिलता है।

चौमुंडा देवी इनकी सर्वश्रेष्ठ देवी है।

स्थानी देवता ज्वाल्पादेवी व हुल्कादेवी प्रमुख देवता है। ( इसकी पूजा थान(मंदिर वाला स्थान) की जाती है). कल्पित आत्मा के रूप में बुज्जा की पूजा करते हैं।

त्योहार-

चैती , नौवी , होली, दीपावली,होगण , ढल्या ,गोटरे व मौरो इनकी प्रमुख त्योहार है।

अर्थव्यवस्था-

काष्ठ कर्म , पशुपालन, दस्तकारी ,जड़ी-बूटी संग्रह/ विक्रय, कृषि व दैनिक श्रम आदि प्रमुख आर्थिक गतिविधियाँ हैं .

राजनीतिक अवस्था

बिरादरी पंचायत संस्था इनकी पारम्परिक राजनितिक व्यवस्था है। वर्तमान में पंचायती राज।

वर्तमान समय में नैनीताल, उधम सिंह नगर में बोक्सा परिषद की स्थापना की गयी है ।

अन्य तथ्य-

तांत्रिको को भरारे शब्द से संबोधित किया जाता है।

जादू टोने में अधिक विश्वास रखते हैं।

दिरा, चावल, मछली के बेहद शौकीन होते हैं।

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