हरिद्वार का ऐतिहासिक परिचय…

हरिद्वार का उल्लेख वेदों, पुराणों और महाभारत में मिलता है। इसे प्राचीन काल में “गंगाद्वार” के नाम से जाना जाता था। यह वह स्थान है जहाँ गंगा नदी हिमालय की पहाड़ियों से मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है जहाँ समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें गिरी थीं। इस कारण हरिद्वार को सप्तपुरियों (सात पवित्र स्थानों) में से एक माना गया है। यह स्थान भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों के भक्तों के लिए समान रूप से पवित्र है।

. हरिद्वार का धार्मिक महत्त्व

हरिद्वार हिंदू धर्म के लिए अत्यधिक पवित्र है। यहाँ हर की पौड़ी जैसे पवित्र घाट हैं, जहाँ श्रद्धालु गंगा में स्नान कर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। यह स्थान मोक्ष प्राप्ति के लिए जाना जाता है। हरिद्वार कुंभ मेले का आयोजन स्थल भी है, जो हर 12 वर्षों में होता है। लाखों श्रद्धालु इस मेले में भाग लेते हैं और गंगा स्नान करते हैं।

प्रमुख धार्मिक स्थल:

  1. हर की पौड़ी: यह हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध घाट है। यहाँ हर शाम गंगा आरती का आयोजन होता है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
  2. मनसा देवी मंदिर: यह मंदिर शिखर पर स्थित है और यहाँ पहुँचने के लिए रोपवे का उपयोग किया जाता है। यह मंदिर देवी मनसा को समर्पित है, जो भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।
  3. चंडी देवी मंदिर: यह मंदिर नील पर्वत पर स्थित है और यह भी रोपवे के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
  4. माया देवी मंदिर: यह मंदिर हरिद्वार के तीन सिद्ध पीठों में से एक है। यह स्थान देवी सती के हृदय और नाभि के गिरने का स्थान माना जाता है।
  5. भारत माता मंदिर: यह 8 मंजिला मंदिर भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।
  6. पतंजलि योगपीठ: यह योग और आयुर्वेद के लिए एक प्रमुख केंद्र है, जिसकी स्थापना बाबा रामदेव ने की है।

. हरिद्वार के प्रमुख आकर्षण

हरिद्वार न केवल धार्मिक स्थलों के लिए बल्कि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, मेलों और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है।

. गंगा आरती

हर की पौड़ी पर आयोजित गंगा आरती एक भव्य और आध्यात्मिक अनुभव है। सूर्यास्त के समय श्रद्धालु दीप जलाकर गंगा में प्रवाहित करते हैं। यह नजारा हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है।

. कुंभ और अर्धकुंभ मेला

हरिद्वार कुंभ मेले का आयोजन स्थल है, जो हर 12 वर्षों में होता है। इसके अलावा, हर 6 वर्षों में अर्धकुंभ मेले का आयोजन भी यहाँ किया जाता है। इन मेलों में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

. राजाजी नेशनल पार्क

हरिद्वार के पास स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। यहाँ बाघ, हाथी, तेंदुआ और कई अन्य जानवर पाए जाते हैं।

. कनखल

यह हरिद्वार का एक पुराना इलाका है, जो दक्षेश्वर महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजा दक्ष प्रजापति से जुड़ी कथाओं का केंद्र है।

. हरिद्वार की संस्कृति और परंपराएँ

हरिद्वार की संस्कृति पूरी तरह से धार्मिकता और आध्यात्मिकता से भरी हुई है। यहाँ की परंपराएँ और रीति-रिवाज हिंदू धर्म की गहराई को दर्शाते हैं।

. पारंपरिक मेले और त्योहार

हरिद्वार में विभिन्न धार्मिक मेले और त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध कुंभ मेला, गंगा दशहरा, और कार्तिक पूर्णिमा हैं। ये आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यहाँ की सांस्कृतिक विरासत को भी प्रदर्शित करते हैं।

. भोजन और खानपान

हरिद्वार में शाकाहारी भोजन का बोलबाला है। यहाँ के प्रसिद्ध व्यंजनों में कचौड़ी, आलू पूरी, चाट, और पेड़ा शामिल हैं। हर की पौड़ी के पास स्थित स्थानीय बाजारों में इनका स्वाद लिया जा सकता है।

. पर्यावरण और प्राकृतिक सुंदरता

हरिद्वार हिमालय की तलहटी में स्थित है, जिससे यह प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर है। गंगा नदी की शीतल धारा, आसपास की हरियाली और नील पर्वत की उपस्थिति इस स्थान को स्वर्गिक बनाती है। यहाँ का वातावरण शांत और शुद्ध है, जो इसे ध्यान और योग के लिए उपयुक्त बनाता है।

. आवागमन और परिवहन

हरिद्वार तक पहुँचने के लिए विभिन्न साधन उपलब्ध हैं।

  • रेल मार्ग: हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, और वाराणसी से नियमित ट्रेनें यहाँ आती हैं।
  • सड़क मार्ग: हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग 58 से जुड़ा है और दिल्ली से लगभग 230 किलोमीटर दूर है। यहाँ के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं।
  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो हरिद्वार से लगभग 35 किलोमीटर दूर है।

. हरिद्वार के आसपास के स्थान

हरिद्वार के पास कई अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल हैं जो इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।

  • ऋषिकेश: हरिद्वार से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान योग और रिवर राफ्टिंग के लिए प्रसिद्ध है।
  • देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और शिक्षा के लिए जानी जाती है।
  • मसूरी: यह एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है, जो हरिद्वार से लगभग 80 किलोमीटर दूर है।

8. हरिद्वार का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

हरिद्वार का मुख्य आर्थिक स्रोत पर्यटन है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं, जिससे स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिलता है। योग और आयुर्वेद के केंद्र जैसे पतंजलि योगपीठ ने भी यहाँ के विकास में योगदान दिया है।

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