1. प्राचीन परंपराएं:
- सबसे पहले Sunday की छुट्टी की परंपरा ईसाई धर्म से जुड़ी थी। ईसाई धर्म में रविवार (Sunday) को साबथ (Sabbath) माना जाता है, यानी विश्राम और पूजा का दिन। यह दिन भगवान की पूजा और आराम के लिए समर्पित होता था।
- इसी कारण ईसाई धर्मावलंबी लोग Sunday को काम नहीं करते थे और उसे विश्राम का दिन मानते थे।
2. औद्योगिक युग और श्रमिक अधिकार:
- औद्योगिक क्रांति के दौरान, 18वीं और 19वीं सदी में यूरोप और अमेरिका में बड़े पैमाने पर कारखाने लगने लगे। श्रमिकों को लंबे घंटों तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था, और उनकी स्थिति बहुत कठिन थी।
- 19वीं सदी के अंत में, श्रमिकों ने एक दिन की छुट्टी की मांग करना शुरू किया, ताकि वे अपने परिवार के साथ समय बिता सकें और आराम कर सकें।
3. ब्रिटिश शासन और भारत में Sunday की छुट्टी:
- ब्रिटिश शासन के दौरान, भारत में भी Sunday को छुट्टी का दिन मानने की शुरुआत हुई। ब्रिटिश कर्मचारियों के लिए यह दिन पहले से ही छुट्टी का दिन था, और धीरे-धीरे भारतीय श्रमिकों के लिए भी यह दिन छुट्टी के रूप में स्वीकृत हो गया।
- भारतीय श्रमिकों ने इस दिन की छुट्टी की मांग की, और भारतीय मजदूर आंदोलन के नेताओं ने इसे एक अधिकार के रूप में उठाया।
4. भारत में Sunday की छुट्टी का औपचारिक आरंभ:
- 19वीं सदी के अंत में, भारत में मजदूर आंदोलन और श्रमिक अधिकारों के तहत Sunday की छुट्टी का प्रचलन बढ़ा। खासकर 1881 में नारायण मेघजी लोखंडे ने बॉम्बे (अब मुंबई) में मिल मजदूरों के लिए Sunday की छुट्टी की मांग उठाई।
- उनकी कोशिशों के बाद, धीरे-धीरे Sunday को छुट्टी के दिन के रूप में मान्यता मिल गई, और यह परंपरा भारत में भी पूरी तरह से स्थापित हो गई।
5. आधुनिक समय में Sunday की छुट्टी:
- आज के समय में, Sunday को दुनिया के अधिकांश देशों में छुट्टी के दिन के रूप में माना जाता है। यह दिन न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि श्रमिकों के अधिकार और आराम के दिन के रूप में भी देखा जाता है।
इसी तरह, Sunday की छुट्टी का इतिहास विभिन्न आंदोलनों, धार्मिक परंपराओं और श्रमिक अधिकारों के संघर्ष से जुड़ा हुआ है।