उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन पिछले कुछ दशकों से राज्य में पलायन (Migration) एक गंभीर समस्या बन गया है। आर्थिक अवसरों की कमी, बेरोजगारी और आधारभूत सुविधाओं की अनुपलब्धता ने ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों को शहरी इलाकों और अन्य राज्यों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है।
पलायन की स्थिति
- 2023 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के करीब 16% गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं।
- करीब 1000 से ज्यादा गांवों को “घोस्ट विलेज” (भूतिया गांव) घोषित किया गया है।
- पलायन की दर सबसे ज्यादा पौड़ी गढ़वाल, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में है।
पलायन के प्रमुख कारण
- बेरोजगारी: राज्य में औद्योगिक इकाइयों की कमी और कृषि क्षेत्र में अवसरों का अभाव।
- शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: पहाड़ी इलाकों में स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों की कमी।
- आधारभूत ढांचे की कमी: सड़कों, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं न होना।
- प्राकृतिक आपदाएं: भूस्खलन, बर्फबारी और बाढ़ जैसी घटनाएं।
पलायन के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
- खाली होते गांव: पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाज खत्म हो रहे हैं।
- आर्थिक असमानता: शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का दबाव और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का अभाव।
- महिला सशक्तिकरण पर असर: पुरुषों के पलायन के बाद महिलाएं घर और खेत की जिम्मेदारियों को अकेले संभाल रही हैं।
सरकार द्वारा किए गए प्रयास
- मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
- Reverse Migration Policy (पलायन रोकथाम नीति)
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत महिला स्वयं सहायता समूह
- होमस्टे योजना के जरिए पर्यटन को बढ़ावा
समाधान के उपाय
- स्थानीय स्तर पर कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना।
- युवाओं के लिए स्वरोजगार योजनाओं का प्रचार-प्रसार।
- पर्यटन को बढ़ावा देकर इकोटूरिज्म का विकास।
- डिजिटल इंडिया के तहत ऑनलाइन वर्क मॉडल को प्रोत्साहित करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं मुहैया कराना।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में पलायन एक गंभीर समस्या है जो राज्य की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संरचना को प्रभावित कर रही है। यदि समय पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है। सरकार के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए आगे आना होगा।
मुख्य मंत्र: “अगर गांव बसेंगे, तो उत्तराखंड बचेगा।” by DEVBHOOMI CAREER POINT