जलवायु परिवर्तन (Climate Change) आज वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। यह न केवल पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है, बल्कि अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, कृषि और मानव जीवन के हर पहलू पर इसका असर पड़ रहा है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह संकट और भी गंभीर है क्योंकि यहां जनसंख्या अधिक है, संसाधन सीमित हैं और जागरूकता की कमी है।
जलवायु परिवर्तन क्या है? (What is Climate Change?)
जलवायु परिवर्तन का अर्थ है पृथ्वी के मौसम में लंबे समय तक आने वाला स्थायी परिवर्तन। यह प्राकृतिक कारणों से भी हो सकता है, लेकिन वर्तमान में इसका मुख्य कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं – जैसे औद्योगीकरण, प्रदूषण, जंगलों की कटाई, और जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) का अत्यधिक उपयोग।
भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (Impact of Climate Change in India):
1. अत्यधिक तापमान और गर्मी की लहरें (Heatwaves):
हर साल भारत के कई हिस्सों में लू की घटनाएँ बढ़ रही हैं। 2025 की गर्मियों में भी कई राज्यों में तापमान 45°C से ऊपर गया।
2. अनियमित वर्षा और सूखा:
मॉनसून में अनिश्चितता के कारण कभी भारी वर्षा तो कभी लंबे समय तक सूखा पड़ता है, जिससे खेती पर बुरा असर होता है।
3. बाढ़ और चक्रवात:
बंगाल और ओडिशा जैसे तटीय राज्यों में चक्रवातों की तीव्रता और संख्या बढ़ी है। असम और बिहार जैसे राज्य बाढ़ की चपेट में रहते हैं।
4. हिमालयी ग्लेशियरों का पिघलना:
उत्तराखंड और लद्दाख के क्षेत्र में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे भविष्य में जल संकट और बाढ़ दोनों की संभावना है।
5. जैव विविधता को खतरा:
कई वन्यजीवों और पौधों की प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं क्योंकि उनका प्राकृतिक आवास बदल रहा है।
भारत की जलवायु रणनीतियाँ (India’s Climate Strategies):
राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC):
भारत ने 2008 में National Action Plan on Climate Change शुरू किया था, जिसमें 8 प्रमुख मिशन शामिल हैं – जैसे सौर ऊर्जा मिशन, ऊर्जा दक्षता मिशन, जल मिशन आदि।
पेरिस समझौता (Paris Agreement):
भारत इस समझौते का भागीदार है और 2070 तक Net Zero Carbon Emission का लक्ष्य रखा है।
इंटरनेशनल सोलर एलायंस (ISA):
भारत ने 100 से अधिक देशों के साथ मिलकर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की पहल की है।
जनता की भूमिका और समाधान (Public Role and Solutions):
वृक्षारोपण (Afforestation):
हर व्यक्ति को साल में कम से कम एक पेड़ लगाना चाहिए।
प्लास्टिक का बहिष्कार:
सिंगल यूज़ प्लास्टिक को पूरी तरह से बंद किया जाना चाहिए।
ऊर्जा की बचत:
LED बल्ब, सोलर पैनल, और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना चाहिए।
जल संरक्षण:
बर्बादी रोकें और वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) को अपनाएं।
2025 तक की वर्तमान स्थिति (India’s Climate Status till 2025):
क्षेत्र | स्थिति (2025 तक) |
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तापमान वृद्धि | औसतन 1.2°C तक बढ़त |
समुद्री जल स्तर | 3.5 मिमी प्रति वर्ष की वृद्धि |
CO2 उत्सर्जन | वैश्विक स्तर पर तीसरा स्थान |
ग्लेशियर ह्रास | 20% तक पिघलाव दर |
निष्कर्ष (Conclusion):
जलवायु परिवर्तन अब भविष्य का नहीं बल्कि वर्तमान का संकट है। भारत को सतर्क रहकर नीतिगत, तकनीकी और सामाजिक स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे।