क्यों इस बार बारिश सितंबर के अंत तक और भी ज़्यादा चल रही है?

भारत में मानसून सिर्फ एक मौसम नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की ज़िंदगी का अहम हिस्सा है। आमतौर पर जून से सितंबर तक बारिश का दौर चलता है, लेकिन 2025 में इस बार बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सितंबर के आख़िरी हफ्ते तक भी लगातार बारिश हो रही है और कई जगहों पर तो बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। सवाल ये उठता है कि आखिर इस बार बारिश इतनी देर तक क्यों हुई? आइए जानते हैं इसके पीछे के असली कारण।

बंगाल की खाड़ी में लगातार एक्टिव सिस्टम

इस साल बंगाल की खाड़ी में कई बार लो-प्रेशर एरिया और डिप्रेशन बने। ये सिस्टम नमी से भरी हवाएँ लगातार देश के मध्य और उत्तरी हिस्सों तक लाते रहे। यही वजह है कि मानसूनी बारिश का दौर लंबा खिंच गया। ऐसे सिस्टम सामान्य से ज्यादा एक्टिव रहे, जिसने मॉनसून को कमजोर नहीं होने दिया।

मॉनसून की देरी से विदाई

मॉनसून की विदाई आमतौर पर सितंबर के मध्य से शुरू होती है, लेकिन इस बार मॉनसून पीछे हटने में देरी कर रहा है। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक लो-प्रेशर एरिया और ट्रफ एक्टिव रहते हैं, तब तक मॉनसून की विदाई टलती रहती है। यही कारण है कि सितंबर के आखिर तक भी कई राज्यों में बारिश जारी है।

जलवायु परिवर्तन का असर

पिछले कुछ वर्षों में मौसम के पैटर्न में बड़ा बदलाव आया है। बढ़ते तापमान के कारण वायुमंडल में नमी रखने की क्षमता बढ़ गई है। इसका नतीजा यह है कि बारिश ज्यादा देर तक और ज्यादा मात्रा में होती है। यानी क्लाइमेट चेंज ने इस बार की बारिश को और भी लंबा खींच दिया।

मानसूनी ट्रफ का सक्रिय रहना

मानसूनी ट्रफ यानी लो-प्रेशर लाइन इस बार लंबे समय तक एक्टिव रही। यह सामान्य से दक्षिण की ओर झुकी रही, जिससे उत्तर भारत, मध्य भारत और पूर्वी हिस्सों में लगातार बारिश होती रही। यही कारण है कि कई राज्यों में सितंबर के आखिर तक भी अच्छी बारिश देखने को मिली।

असर – वरदान या मुसीबत?

देर तक चलने वाली बारिश का असर दो तरह से पड़ा है। किसानों के लिए यह अच्छी खबर है क्योंकि खरीफ की फसलों को पर्याप्त पानी मिला और मिट्टी की नमी अच्छी बनी रही। लेकिन दूसरी तरफ कई जगहों पर बाढ़, जलभराव और फसलों को नुकसान की खबरें भी आईं। शहरों में जलभराव से ट्रैफिक और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है।


निष्कर्ष

इस साल की बारिश हमें यह समझाती है कि मौसम के पैटर्न बदल रहे हैं। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा, बेहतर जल प्रबंधन, खेती के नए तरीके और शहरी प्लानिंग पर ध्यान देना होगा। देर तक चलने वाला मॉनसून आने वाले समय में नया सामान्य (New Normal) बन सकता है।


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