Sumitranandan pant (सुमित्रानंदन पंत)
- जन्म – कौसानी,बागेश्वर ( उत्तराखंड)
- 20 मई 1900 ई.
- मूल नाम- गोसाई दत्त ( बचपन का नाम)
- 7 वर्ष की आयु से जब वह चौथी कक्षा में पढ़ते थे. तब से कविता लिखना आरंभ किया।
- सुमित्रानंदन पंत की प्रारंभिक शिक्षा – कौसानी गांव में।
- उच्च शिक्षा –इलाहाबाद( वर्तमान नाम प्रयाग) और बनारस में हुई थी।
- 1910 में वह शिक्षा प्राप्त करने अल्मोड़ा गए । यहीं उन्होंने अपना नाम गोसाई दत्त से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख दिया।
- छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ मे से सुमित्रानंदन पंत एक हैं।
- छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ-
- जयशंकर प्रसाद
- सुमित्रानंदन पंत
- महादेवी वर्मा
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख काव्य रचनाएं-
वीणा, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन, युगान्त , युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण किरण, स्वर्ण धूलि , युगपथ , उत्तरा, अंतिमा, उच्छवास , लोकायतन,पौ फटने से पहले, गीत हंस, पुरुषोत्तम राम, वाणी, तिमा , रश्मिबँध , परिवर्तन, खादी के फूल, कला और बूढ़ा चांद, चिदंबरा
सुमित्रानंदन पंत की जीवन काल में प्रकाशित पुस्तकें-
- 28 कविताएं, पद्य , नाटक, और निबंध।
- प्रथम कविता- गिरजे का घंटा।
- प्रथम छायावादी कृति-उच्छवास ।
- अंतिम छायावादी कृति – गुंजन।
- पंत जी की लंबी कविता- परिवर्तन।
- पंडित जी का उपनाम है- छायावाद का विष्णु।
- पन्त जी आरंभ में छायावादी।
- मध्य में प्रगतिवादी।
- अंत में अरविंद दर्शन से प्रभावित रहे ।
- पंत जी का निधन- 28 दिसंबर 1977 को इलाहाबाद में हुआ।
- पंत जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार – 1960 मे ‘ कला और बूढ़ा चांद’ के लिए दिया गया था।
- ज्ञानपीठ पुरस्कार – 1968 मे ‘ चिदंबरा’ के लिए दिया गया था।
- सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार-‘ लोकायतन'( गांधीजी के जीवन पर आधारित महाकाव्य) के लिए प्राप्त हुआ था।
- सुमित्रानंदन पंत को- 1961 में पद्मभूषण उपाधि से सम्मानित किया गया।
- लोकायतन का प्रकाशन- 1964 मे
- संपादन- 1938 मे ‘रुपाभ ‘ नामक पत्रिका का।
- पंत जी की पहली प्रौढ़ रचना-‘पल्लव ‘ मानी जाती है।
- सुमित्रानंदन पंत को एक और उपनाम से भी जाना जाता है- शब्द’शिल्पी ‘ कवि भी कहा जाता है।
- पहली बार प्रमुख विषय बनाया-‘ प्रकृति’ को । ( इसीलिए उन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि भी कहा जाता है)
- सुमित्रानंदन पंत ने ज्योत्सना नामक नाटक की रचना भी की है।
- पंत जी ने हरिवंश राय बच्चन के साथ संयुक्त रूप से कविता संग्रह प्रकाशित करवाया-‘ खादी के भूल’
- इनकी प्रसिद्ध काव्य संकलन’पल्लव ‘ प्रकाशित हुआ- 1928 में।
- लोकायतन नामक संस्थान की स्थापना- 1942 में।
- ‘ स्वर्ण किरण’ और’ स्वर्ण धूलि ‘ रचनाओं में पंत जी की विचारधारा देखी जा सकती है- अरविंद दर्शन की।
- पंत जी की प्रगतिवादी विचारधारा दिखती है-‘युगांत ‘से ‘ग्राम्य ‘ काव्य तक।
- पंत जी ने खड़ी बोली का उपयोग किया है- रचना’पल्लव ‘ मे ।
देवभूमि Career पॉइंट , उत्तराखंड
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