उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। ईडी ने देहरादून जिले के सहसपुर क्षेत्र में स्थित लगभग 101 बीघा भूमि को अस्थायी रूप से कुर्क किया है, जिसका अनुमानित बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है।
भूमि की खरीद और संबंधित आरोप:
यह भूमि रावत की पत्नी, दीप्ति रावत, और उनकी करीबी सहयोगी, लक्ष्मी राणा के नाम पर पंजीकृत है। इस भूमि पर श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (DIMMS) का निर्माण किया गया है, जिसका संचालन रावत के पुत्र, तुषित रावत, करते हैं।
ईडी का आरोप है कि रावत और उनके सहयोगियों ने इस भूमि को अवैध तरीकों से अपने नाम पर हस्तांतरित किया। विशेष रूप से, बीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया ने पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) के माध्यम से भूमि को रावत की पत्नी और लक्ष्मी राणा के नाम पर पंजीकृत कराया, जबकि अदालत ने पहले ही इस लेन-देन को रद्द कर दिया था।
ईडी की कार्रवाई:
ईडी ने 20 जनवरी 2025 को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत आदेश जारी कर इस भूमि को अस्थायी रूप से कुर्क किया। इस कार्रवाई के बाद, रावत और उनके परिवार के सदस्यों से पूछताछ की गई है।
यह मामला उत्तराखंड में भूमि अधिग्रहण और शहरी विकास से संबंधित कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलताओं को उजागर करता है, और ईडी की कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी एजेंसियां इस प्रकार के मामलों में गंभीरता से जांच कर रही हैं।