राजुला-मालूशाही उत्तराखंड की एक प्रसिद्ध लोककथा है, जो प्रेम, बलिदान, और सामाजिक विषमताओं पर आधारित है।

पृष्ठभूमिकहानी 14वीं-15वीं शताब्दी की बताई जाती है। इसमें कुमाऊं के राजकुमार मालूशाही और दानपुर क्षेत्र की राजुला नामक एक साधारण लड़की के बीच का प्रेम वर्णित है। मुख्य पात्र मालूशाही…

नंदा राज जात यात्रा: एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा…

नंदा राज जात यात्रा उत्तराखंड का एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखने वाला पर्व है। इसे "हिमालय की कुम्भ यात्रा" भी कहा जाता है। यह यात्रा देवी नंदा (पार्वती)…

उत्तराखण्ड लोकनृत्य

उत्तराखण्ड लोकनृत्य उत्तराखण्ड राज्य अपने आप में विभिन्न संस्कृतियों को अपने आप में संयोए हुए बैठा है। इन्हीं संस्कृतियों की एक झलक हमको उत्तराखण्ड के लोनृत्यों में भी देखने को…

उत्तराखण्ड लोकगीत (संगीतकला)

उत्तराखण्ड लोकगीत (संगीतकला) उत्तराखण्ड की पहचान अपनी एक विशिष्ट संस्कृति की वजह से है। उत्तराखण्ड की संस्कृति में अनेक विविधता पूर्ण रोमांचकारी लोगगीतों का समाविष्ट है, जो कि राज्य की…
पारम्परिक लोकवाद्य (संगीत कला)

पारम्परिक लोकवाद्य (संगीत कला)

पारम्परिक लोकवाद्य (संगीत कला) उत्तराखण्ड में लगभग 36 प्रकार के लोकवाद्य प्रचलित हैं।जिनको 5 श्रेणियों में विभाजित किया है। धातु/घन वाद्य - विणाई, कांसे की थाली, मंजीरा, घुंघरू, कसरी, झांडन,…