उत्तराखण्ड राज्य का इतिहास – कैसें बना
पृथक राज्य के रूप में उत्तराखण्ड राज्य की सर्वप्रथम मांग 1897 में पंडित ज्वालादत्त जोशी, हरिराम पाण्डेय, दुर्गादत्त जोशी आदि लोगों द्वारा की गई थी।
कांग्रेस द्वारा उत्तराखण्ड पृथक राज्य की मांग सर्वप्रथम 1938, कांग्रेस के श्रीनगर अधिवेशन में की गई थी।
व उत्तर प्रदेश विधानसभा में सर्वप्रथम पृथक राज्य का मुद्दा 1990 में उत्तराखण्ड क्रांति दल के विधायक जसवंत सिंह बिष्ट ने रखा।
उत्तर प्रदेश की विधानपरिषद् में सर्वप्रथम पृथक राज्य का मुद्दा 1954 में इंद्र सिंह नयाल द्वारा रखा गया।
नवगठित राज्य के लिए 1988 में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तरांचल तय किया था।
उत्तरांचल पृथक राज्य का सर्वप्रथम प्रस्ताव उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 12 अगस्त, 1991 को पारित हुआ। 15 अगस्त, 1993 को को लोकसभा में पेश हुआ किंतु पारित नहीं हुआ।
व पृथक राज्य के निर्माण हेतु कौशिक समिति का गठन 4 जनवरी 1994 को मुलायम सिंह यादव द्वारा किया गया। इस समिति का अध्यक्ष रमाशंकर कौशिक को बनाया गया इस समिति में कुल 5 सदस्य थे।
कौशिक समिति ने अपनी रिपोर्ट 20 अप्रैल 1994 को जमा की। इस रिपोर्ट में 08 जिलें, तथा राजधानी गैरसैंण को बनाने का प्रस्ताव रखा गया।
- उत्तराखंड में नगर निगम चुनाव 2024 की तिथियाँ घोषित कर दी गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, मतदान 23 जनवरी 2024 को होगा, और मतगणना 25 जनवरी 2024 को की जाएगी।
- राजुला-मालूशाही उत्तराखंड की एक प्रसिद्ध लोककथा है, जो प्रेम, बलिदान, और सामाजिक विषमताओं पर आधारित है।
- बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास:
- हरिद्वार का ऐतिहासिक परिचय…
- नंदा राज जात यात्रा: एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा…