मेले और त्योहार सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक एकता के प्रतीक हैं। यहाँ हर पर्वत, नदी और गाँव अपनी परंपरा में रचा-बसा है, और हर मेला-त्योहार जीवन के उल्लास को दर्शाता है।
1. उत्तरायणी मेला (उत्तरायण पर्व)
- यह मकर संक्रांति के अवसर पर जनवरी में मनाया जाता है।
- बागेश्वर, रानीखेत, डीडीहाट, आदि क्षेत्रों में इसका भव्य आयोजन होता है।
- बागेश्वर में सरयू और गोमती नदी के संगम पर भारी संख्या में श्रद्धालु स्नान करते हैं।
- इसे “घुघुतिया त्यौहार” भी कहा जाता है जहाँ बच्चे घुघुते (मीठे पकवान) गले में पहनकर कौओं को बुलाते हैं।
2. नंदा देवी मेला
- नंदा देवी, उत्तराखंड की आराध्य देवी मानी जाती हैं।
- हर वर्ष सितंबर में अल्मोड़ा, नंदप्रयाग, कौसानी और मुनस्यारी में इसका आयोजन होता है।
- इस मेले में कुमाऊँ और गढ़वाल के लोग बड़ी श्रद्धा से भाग लेते हैं।
- आकर्षण का केंद्र होता है — नंदा देवी की डोली यात्रा, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
- इसे स्त्री शक्ति और पारंपरिक लोक संस्कृति से जोड़ा जाता है।
3. जागेश्वर मेला
- अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर धाम में प्रतिवर्ष श्रावण मास में आयोजित होता है।
- यह शिवभक्तों का प्रमुख धार्मिक मेला है, जिसमें लोग जागनाथ भगवान के दर्शन करते हैं।
- यह स्थान प्राचीन मंदिरों और अद्भुत वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है।
- यहाँ का शांत वातावरण और आध्यात्मिक ऊर्जा भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
4. बैसाखी मेला (पौड़ी)
- यह मेला पौड़ी में हर वर्ष बैसाखी पर आयोजित होता है।
- यह कृषि और पशुपालन से जुड़ा हुआ मेला है जिसमें किसान फसल कटाई के बाद उल्लास से भाग लेते हैं।
- यहाँ पशु प्रदर्शनी, लोक नृत्य, खेल प्रतियोगिताएँ और पारंपरिक हस्तशिल्प की प्रदर्शनी होती है।
- इसे सामाजिक मेलजोल और ग्रामीण संस्कृति के उत्सव के रूप में देखा जाता है।
🕊️ 5. जौलजीबी मेला
- यह मेला पिथौरागढ़ जिले में नेपाल और भारत की सीमा पर काली और गोरी नदियों के संगम पर आयोजित होता है।
- यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि व्यापारिक मेला भी है।
- भारत और नेपाल के व्यापारी यहाँ पारंपरिक वस्त्र, हस्तकला, औषधियाँ आदि बेचते हैं।
- इस मेले में गोरी नृत्य, छोलिया नृत्य और लोकगीतों का विशेष आयोजन होता है।
6. रामलीला और दशहरा उत्सव (अल्मोड़ा)
- अल्मोड़ा की रामलीला पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है, जो लगभग 150 वर्षों से आयोजित हो रही है।
- यहाँ की रामलीला गीतों के माध्यम से होती है जो इसे विशिष्ट बनाती है।
- दशहरा पर विशाल रावण दहन होता है, और पूरा नगर रंग-बिरंगे प्रकाश से जगमगाता है।
उत्तराखंड के त्योहारों की विशेषताएँ:
विशेषता | विवरण |
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धार्मिकता | हर मेला और त्योहार किसी न किसी देवी-देवता से जुड़ा होता है। |
सामाजिक एकता | अलग-अलग जाति, गाँव और समुदायों को जोड़ता है। |
स्थानीय संस्कृति | लोकगीत, नृत्य, पहनावा और व्यंजन इन आयोजनों का हिस्सा होते हैं। |
पर्यटन | ये मेले उत्तराखंड के पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं। |
उत्तराखंड के मेले और त्योहार केवल उत्सव नहीं, बल्कि जीवित परंपराएँ हैं जो प्रकृति, आध्यात्म और समाज के बीच संतुलन बनाती हैं। ये आयोजन पीढ़ी-दर-पीढ़ी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने का कार्य करते हैं। आज जब आधुनिकता में लोक संस्कृति पीछे छूट रही है, ऐसे में इन मेलों का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।