“संघर्ष से समृद्धि तक: भारत की आज़ादी और तब-से-अब की बदलती तस्वीर “From Struggle to Prosperity: India’s Freedom and the Changing Picture from Then to Now”

भारत की आज़ादी की कहानी साहस, एकता और बलिदान की मिसाल है। 15 अगस्त 1947 का सूरज न केवल गुलामी की रात को खत्म करने वाला था, बल्कि एक नए भारत की शुरुआत का प्रतीक भी बना। लेकिन आज़ादी के उस दौर का भारत और आज का भारत — दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क है। आइए इस रोमांचक यात्रा और तब-से-अब की तुलना को समझते हैं।


1. आज़ादी की राह (तब का भारत)

  • राजनीतिक स्थिति: 1947 से पहले भारत ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था। हर निर्णय लंदन से तय होता था।
  • आर्थिक स्थिति: कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था, जिसमें औद्योगिक विकास बेहद कम था।
  • साक्षरता दर: करीब 12%
  • आयु प्रत्याशा (Life Expectancy): सिर्फ़ 32 साल।
  • आधारभूत ढांचा: बहुत सीमित रेल नेटवर्क, कम सड़कें और बिजली की सुविधा न के बराबर।

2. आज़ादी का संघर्ष – मुख्य पड़ाव

  • 1857: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम।
  • 1920: असहयोग आंदोलन।
  • 1930: दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा।
  • 1942: भारत छोड़ो आंदोलन।
  • 1945–46: आज़ाद हिंद फौज और नौसैनिक विद्रोह।
  • 1947: स्वतंत्रता और विभाजन।

3. आज का भारत (2025 का भारत)

  • राजनीतिक स्थिति: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, 90+ करोड़ मतदाता।
  • आर्थिक स्थिति: विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था।
  • साक्षरता दर: 77% से अधिक।
  • आयु प्रत्याशा: लगभग 70+ वर्ष।
  • आधारभूत ढांचा: हाईवे, मेट्रो, हवाई अड्डे, डिजिटल नेटवर्क और बिजली की सर्वव्यापक पहुंच।

4. तब-से-अब की तुलना एक नज़र में

पहलू1947 का भारत2025 का भारत
साक्षरता दर12%77%
GDP (वैश्विक रैंक)नगण्य5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
आयु प्रत्याशा32 वर्ष70+ वर्ष
रेलवे नेटवर्क53,000 किमी68,000+ किमी
सड़क नेटवर्क4 लाख किमी65 लाख+ किमी
स्वास्थ्य सुविधाएँसीमित, ग्रामीण इलाकों में न के बराबरआधुनिक अस्पताल, AI आधारित हेल्थकेयर
तकनीककोई कंप्यूटर/इंटरनेट नहींडिजिटल इंडिया, 5G, AI, ISRO का मंगल मिशन

5. आज़ादी के बाद बदलाव के मुख्य कारण

  • संविधान का निर्माण और लोकतंत्र की स्थापना
  • पंचवर्षीय योजनाओं के जरिए औद्योगिक विकास
  • शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश
  • हरित क्रांति और खाद्यान्न आत्मनिर्भरता
  • सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्रांति

6. चुनौतियाँ जो अब भी बाकी हैं

  • बेरोजगारी और असमानता
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • ग्रामीण-शहरी अंतर
  • राजनीतिक और सामाजिक विभाजन

तब का भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, आज का भारत आत्मनिर्भर और विश्व मंच पर प्रभावशाली है। लेकिन असली आज़ादी तभी पूरी होगी जब हर नागरिक को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और समान अवसर मिले।


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